सुनिए हमारे राष्ट्रपति के दर्द भरे शब्द – इंडिया टीवी


एक तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सभी राजनेताओं से कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार और हत्या के मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील कर रही हैं, लेकिन बुधवार को उन्होंने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए कहा कि उन्हें ‘आग से नहीं खेलना चाहिए’। उन्होंने कहा, ‘मोदी बाबू अगर आप आग से खेलेंगे तो आग सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि दिल्ली, असम, झारखंड और ओडिशा तक फैल जाएगी।’ यह राजनीतिक कट्टरता नहीं तो और क्या है? ममता बनर्जी जैसी जिम्मेदार नेता को ऐसे समय में ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जब उनका पूरा राज्य जघन्य बलात्कार-हत्या की घटना को लेकर उथल-पुथल देख रहा हो। ममता खुद एक जनांदोलन की उपज हैं। बुधवार को उन्होंने मांग की कि सीबीआई को अपनी जांच के बारे में अपडेट करना चाहिए और उन्होंने कोलकाता पुलिस की तारीफ की। यह उनकी दूसरी गलती है। जघन्य बलात्कार-हत्या की घटना के बाद कोलकाता पुलिस की भूमिका से बंगाल के लोग नाराज हैं। नृशंस हत्या के बाद जिस तरह से कोलकाता पुलिस ने मामले को संभाला, उससे छात्रों में व्यापक आक्रोश है।
अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई, अवांछित व्यक्तियों को अपराध स्थल पर जाने दिया गया और पीड़िता के गरीब माता-पिता को कई घंटों तक अपनी बेटी का शव देखने नहीं दिया गया। एफआईआर दर्ज करने में काफी देरी की गई और 14 अगस्त की आधी रात को जब लुटेरे तत्वों की भीड़ ने अपराध स्थल पर सभी सबूतों को मिटाने के लिए जबरन अस्पताल में प्रवेश किया, तो कोलकाता पुलिस भीड़ को रोकने में विफल रही। भीषण घटना की रात मुख्य आरोपी रात भर पुलिस की मोटरसाइकिल पर शहर में घूमता रहा। इन सभी तथ्यों ने पुलिस के प्रति लोगों में नाराजगी पैदा की है। यह नाराजगी उनकी सरकार के खिलाफ गुस्से में बदल गई है। जहां ममता बनर्जी ने इस मुद्दे का अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया, वहीं भाजपा ने भी जनता के गुस्से का फायदा उठाया। तीसरा, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बंगाल की बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध का जिक्र किया और कहा कि “बस बहुत हो गया”, तो तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने उनकी मंशा पर सवाल उठाया। यह अच्छी मिसाल नहीं है। राष्ट्रपति ने किसी भी राज्य की किसी विशेष घटना के बारे में नहीं कहा।
उन्होंने पूरे देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि वह ‘हताश और भयभीत’ हैं। राष्ट्रपति की तरह हर बेटी और बहन भयभीत और निराश है। राष्ट्रपति ने उस दिन का जिक्र किया जब स्कूली लड़कियां रक्षाबंधन पर राखी बांधने उनके पास आई थीं। उन्होंने कहा कि कुछ लड़कियों ने उनसे मासूमियत के साथ पूछा कि क्या उन्हें आपसे यह आश्वासन मिलेगा कि निर्भया के बलात्कार और हत्या जैसी जघन्य घटना कभी नहीं होगी। राष्ट्रपति ने जो कहा वह किसी को भी दुखी कर सकता है। यह दर्शाता है कि हमारे देश में लड़कियों में किस हद तक डर फैल गया है और वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। यह हम सभी के लिए शर्म की बात है। हमारे समाज में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न अभी भी हो रहे हैं। इसे जितनी जल्दी रोका जाए, उतना अच्छा है।
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