भाजपा सदस्यता अभियान में प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावों में महिलाओं की अधिकतम भागीदारी का विचार रखा – इंडिया टीवी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (2 सितंबर) को राष्ट्रीय राजधानी स्थित पार्टी मुख्यालय में भाजपा के सदस्यता अभियान – ‘संगठन पर्व, सदस्यता अभियान 2024’ की शुरुआत की और पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा कई अन्य नेता मौजूद थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया
प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “आज सदस्यता अभियान का एक और दौर शुरू हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है। जिस संगठन या राजनीतिक दल के माध्यम से जनता सत्ता देती है, वो इकाई, वो संगठन, वो पार्टी… अगर वो लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं करती, अगर उसमें आंतरिक लोकतंत्र नहीं रहता, तो वो स्थिति पैदा होती है जिसका सामना आज कई अन्य राजनीतिक दलों को करना पड़ रहा है।”
प्रधानमंत्री ने पार्टी के कई कार्यकर्ताओं को याद करते हुए कहा, “कई पीढ़ियों ने इस पार्टी में अपना जीवन खपाया है, तब जाकर आज पार्टी लोगों के दिलों में अपनी जगह बना पाई है।”
उन्होंने पार्टी में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दीवारों पर कमल चित्रित किया था, लेकिन उन्हें हमेशा विश्वास था कि कमल लोगों के दिलों में खिलेगा।
उन्होंने कहा, “जब मैं राजनीति में नहीं था, जनसंघ के समय में, उत्साही कार्यकर्ता दीवारों पर दीये बनाते थे, और अन्य राजनीतिक दलों के कई नेता अपने भाषणों में उपहास करते हुए कहते थे कि दीवारों पर दीये बनाने से सत्ता नहीं मिलेगी। हम वो लोग हैं जिन्होंने श्रद्धा के साथ दीवारों पर कमल बनाए क्योंकि हमारा मानना था कि दीवारों पर बनाए गए कमल अंततः दिलों पर भी बनेंगे।”
सदस्यता परिवार का विस्तार है: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा के लिए सदस्यता अभियान परिवार का विस्तार है। उन्होंने चुनावों में महिलाओं की अधिकतम भागीदारी के लिए भी विचार प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा, “यह सदस्यता अभियान महज एक अनुष्ठान नहीं है। यह हमारे परिवार का विस्तार है…यह संख्याओं का खेल नहीं है। हम कितनी संख्या हासिल करते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह सदस्यता अभियान एक वैचारिक और भावनात्मक आंदोलन है।”
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