उत्पाद सिपाही दौड़ में हुए अभ्यर्थियों के मौत का जिम्मेदार है हेमन्त सोरेन
मृतक के परिजनों को 50 50 लाख और परिवार के सदस्य को एक नोकरी दे हेमंत सरकार : विजय चौरसिया
GIRIDIH : हेमंत सरकार मृत अभ्यर्थियों के परिजनों को 50 लाख का मुवावजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दे। उक्त बातें भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय कुमार चौरसिया ने क्षेत्र भ्रमण के क्रम में जमुआ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा।
कहा कि यह दुर्भाग्य है, यह पूरे राज्य के लिए शर्म की बात है कि उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा के 500 सीटों की बहाली में 11 होनहार युवा अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं, यानी 2% से भी ज्यादा…युवकों की मृत्यु हो गई है।
हेमंत सोरेन जी को पता होना चाहिए कि ये जान गंवाने वाले सभी युवा अपने गरीब परिवार का सहारा थे, अपने मां-बाप की आंखों का तारा थे। परिवार के खेवनहार थे। समाज और देश दुनियां के भविष्य थे।
इन सभी की मौत के जिम्मेवार हेमंत सरकार है। यह सरकार चार वर्ष नौ महीने सिर्फ लूट छोड़ और कुछ भी नहीं की है। न इन्हें युवाओं के रोजगार से मतलब रहा और न हीं अपने डपोरशंखी घोषणा जिसे इन्होंने निश्चय पत्र कहा था। उसे भी भूल गए।
अब जब सूबे में चुनाव नजदीक है तो ये आनन फानन में नियमों को ताक पर रख अपना चेहरा चमकाने में लगे हुए हैं। इन्हें किन्हीं की मौत या घर उजड़ने से न कोई मतलब है और न हीं किसी और चीज़ से इन्हें सिर्फ और सिर्फ लूट और वोट की राजनीति करनी है।
विजय चौरसिया ने कहा कि सामान्यतः भर्ती प्रक्रिया में पहले लिखित परीक्षा होती है, उसके पश्चात सफल अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षण के लिए दौड़ का आयोजन किया जाता है।
लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनावी माहौल बनाने के लिए जल्दीबाजी में बिना किसी तैयारी के, बेरोज़गारों को तैयारी के लिये मात्र पन्द्रह दिनों का मौक़ा देकर दौड़ का आयोजन कर 11 होनहार युवाओं की बलि ले ली। अपनी हवाबाजी दिखाने के लिए हेमंत सोरेन ने एक गैर न्यायिक अमानवीय काम किया है।
इस सरकार में थोड़ी भी शर्म हया किसी में बची है तो सबसे पहले 11 युवाओं की मौत के लिये ज़िम्मेवार लोगों को चिन्हित करने के लिये न्यायिक आयोग बनाकर जांच करायी जानी चाहिए।
हेमंत जी, मृत युवाओं के परिवारों को अविलंब 50-50 लाख रुपए का मुआवजा और सरकारी नौकरी दें। साथ ही, सरकार की अव्यवस्था के कारण आगे किसी भी बहाली में एक भी मौत ना हो, यह सुनिश्चित करें।
और अब ये चुनावी चालाकियां रहने दें। जनता इसकी नियत और चालकियों को भलीभांति समझ चुकी है।