

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी। संदीप घोष ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच का आदेश देते समय उनका पक्ष नहीं सुना।
संदीप घोष ने हाईकोर्ट की टिप्पणियों को हटाने की मांग की
इसके अलावा संदीप घोष ने भ्रष्टाचार के आरोपों को अस्पताल परिसर में हुई बलात्कार की घटना से जोड़ने वाली हाईकोर्ट की टिप्पणियों को हटाने की भी मांग की है। संदीप घोष की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 6 सितंबर को सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 23 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।
संदीप घोष और तीन अन्य को सीबीआई ने किया गिरफ्तार
इसके बाद सीबीआई ने सरकारी अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में संदीप घोष सहित तीन अन्य को गिरफ्तार कर लिया।
संदीप घोष फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे। बाद में, उन्हें उसी साल अक्टूबर में आरजी कर से स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन एक महीने के भीतर ही वे फिर से उसी पद पर लौट आए। वे उस दिन तक अस्पताल में अपने पद पर बने रहे, जिस दिन अस्पताल के डॉक्टर की मौत हो गई।
घोष की गिरफ्तारी के एक घंटे के भीतर, सीबीआई अधिकारियों ने उनके सुरक्षा गार्ड और दो विक्रेताओं को उठा लिया, जो उस अस्पताल को सामग्री की आपूर्ति करते थे, जहां 9 अगस्त को एक महिला चिकित्सक का शव मिला था, जिसकी बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी।
हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश क्यों दिया?
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 23 अगस्त को अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।
यह निर्देश संस्थान के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की याचिका के जवाब में आया, जिन्होंने राज्य संचालित संस्थान में इसके पूर्व प्राचार्य के कार्यकाल के दौरान कथित वित्तीय कदाचार के कई मामलों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने का अनुरोध किया था।