मो वसी, मझगांव : विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियां कमर कस चुकी हैं. चुनावी मैदान में शह-मात का खेल शुरू हो गया है. चुनावी बयार को अपने पक्ष में करने के लिए संभावित प्रत्याशी से लेकर पार्टियां लगी हैं. प्रभात खबर विधानसभा क्षेत्रवार रिपोर्ट छाप रहा है. विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि, विधानसभा के एजेंडे, आम लोगों की समस्या सहित कई पहलुओं पर आधारित खास रिपोर्ट. आज पढ़िए मझगांव विधानसभा क्षेत्र की रिपोर्ट.
देवेंद्र नाथ चांपिया की रही थी इस सीट पर मजबूत पकड़
मझगांव विधानसभा सीट पर देवेंद्र नाथ चांपिया की मजबूत पकड़ रही थी. वह इस सीट एक बार निर्दलीय और तीन बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीत चुके हैं.1980 से 1995 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा. वर्ष 2000 में बड़कुंवर गागराई के सहारे पहली बार भाजपा ने अपना खाता खोला.
झामुमो ने पहली बार यहां की जीत दर्ज
वर्ष 2009 में भाजपा यहां से दुबारा जीती. झामुमो ने भी इस सीट पर अपना खूंटा गाड़ा. झामुमो के निरल पूर्ति ने पहली बार 2005 में जीत दर्ज करायी, उसके बाद वह तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. मझगांव विधानसभा क्षेत्र में जल, जंगल व जमीन के नाम पर राजनीति होती रही है. मगर जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. हर चुनाव में बिजली, पानी, सिंचाई, स्वास्थ्य सुविधा, पलायन प्रमुख मुद्दा बनता रहा है.
आज भी कई सड़कें अधूरी
आज भी कई मुख्य सड़कें अधूरी हैं. मझगांव प्रखंड का सबसे बड़ा मुद्दा रेफरल अस्पताल भवन रहा है. पिछले वर्ष स्थानीय विधायक ने इसका शिलान्यास किया था. लेकिन काम शुरू नहीं हो सका है. इस विधानसभा में चार प्रखंड है. इसमें मझगांव, कुमारडुंगी, मंझारी और तांतनगर शामिल है.
क्षेत्र में विकास की गति काफी धीमी : अनंत
मझगांव विस क्षेत्र में विकास की गति काफी धीमी है. वर्तमान समय में यहां जो सुविधाएं उपलब्ध हो सकती थीं, वह नहीं हो पायीं. सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाते हुए इसे खेती के लिए सुलभ बनाया जा सकता है. क्षेत्र में पर्यटन की भी कई संभावनाएं हैं. उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए. बंद खदानों को खोला जाना चाहिए. इससे रोजगार का सृजन होगा.
क्या है यहां के मुद्दे
नहर से फायदा नहीं
इस विस क्षेत्र के लोग खेती कर जीवनयापन करते हैं. मगर सिंचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं होने के कारण वे खेती नहीं कर पाते हैं. किसानों की मांगों को देखते हुए मझगांव एवं कुमारडुंगी प्रखंड को जोड़ते हुए सिंचाई नहर का निर्माण किया गया था. मगर खराब गुणवत्ता के कारण पहले ही वर्ष नहर धराशायी हो गया. कंस्ट्रक्शन कंपनी नहर की मरम्मत कराती रही. लेकिन किसानों को बहुत फायदा नहीं हुआ.
स्वास्थ्य
मझगांव में स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल है. रेफरल अस्पताल होने के बावजूद ग्रामीण बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए ओडिशा पर नर्भिर हैं, क्योंकि यहां का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन पूरी तरह जर्जर है. मगर कार्य अभी तक आरंभ नहीं हुआ है.
शिक्षा
प्रखंड में 98 विद्यालय हैं. मगर अधिकतर विद्यालयों में एक शिक्षक से काम चलाया जा रहा है. प्लस टू विद्यालय में 1400 से अधिक छात्र-छात्राएं हैं, जबकि आठ शिक्षक ही पदस्थापित हैं. शिक्षकों की कमी के कारण अधिकतर बच्चे ड्रॉप आउट हो जाते हैं.