शबाना आज़मी की ‘गॉडमदर’ ने अपनी रिलीज़ के 25 साल पूरे किए, यहाँ जानें बायोग्राफिकल-ड्रामा के बारे में सब कुछ – इंडिया टीवी


साल 1999 में रिलीज हुई बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म ‘गॉडमदर’ का निर्देशन विनय शुक्ला ने किया था। यह फिल्म 80 और 90 के दशक में गुजरात के पोरबंदर की गैंगस्टर संतोबेन जडेजा की कहानी से प्रेरित है। फिल्म में ‘गॉडमदर’ के तौर पर शबाना आजमी ने रंभी का किरदार बेहद शानदार तरीके से निभाया था। वैसे तो शबाना ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है, जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद भी किया, लेकिन अगर फिल्म ‘गॉडमदर’ में उनके किरदार की बात की जाए तो उस किरदार को शबाना से बेहतर शायद ही कोई एक्ट्रेस निभा पाती। इस किरदार के लिए उन्हें अपने करियर के पांचवें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
फिल्म की कहानी
‘गॉडमदर’ गैंगस्टर संतोकबेन जडेजा के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में गुजरात के पोरबंदर में माफिया अभियान चलाया और बाद में एक राजनेता बन गए। संजीव अभ्यंकर ने इस फिल्म के लिए गायन का जिम्मा संभाला, जबकि विशाल भारद्वाज संगीत तैयार किया और जावेद अख्तर ने गीत लिखे।
‘गॉडमदर’ के कलाकार
इस फिल्म में शबाना आज़मी, मिलिंद गुनाजी और निर्मल पांडे ने अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म में शबाना आज़मी ने रम्भी, मिलिंद गुनाजी ने वीरम, निर्मल पांडे ने जाखड़ा, गोविंद नामदेव ने केसुभाई, विनीत कुमार ने लखुभाई, लवलीन मिश्रा ने रामदे की पत्नी, राइमा सेन ने सेजल और शरमन जोशी ने करसन की मुख्य भूमिका निभाई थी।
पुरस्कार और मान्यता
‘गॉडमदर’ ने उस साल कई पुरस्कार जीते, जिसमें अलग-अलग श्रेणियों में छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और एक फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल है। फिल्म में शबाना आज़मी द्वारा निभाया गया किरदार काल्पनिक नहीं बल्कि वास्तविक था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस किरदार का नाम संतोकबेन था, जिन्हें गुजरात में गॉडमदर के नाम से जाना जाता है। फिल्म ने आज अपनी रिलीज की 25वीं सालगिरह मनाई है। जो लोग नहीं जानते उनके लिए बता दें कि शेरनी (1988) भारत की पहली महिला गैंगस्टर फिल्म थी। इसके बाद बैंडिट क्वीन (1994), गॉडमदर (1999) शबरी (2011) गुलाब गैंग (2014) आई।
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